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श्रीराम मंदिर, अयोध्या - Shri Ram Mandir, Ayodhya
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The Incredible Story of Lord Ram

रामायण : भरत द्वारा राम की पादुकाऐं राजसिंहासन पर विराजित करना। नन्दीग्राम में निवास।

रामायण : Episode 26

भरत द्वारा राम की पादुकाऐं राजसिंहासन पर विराजित करना। नन्दीग्राम में निवास।

भरत चित्रकूट से लायी गयीं बड़े भाई राम की चरण पादुकाओं को अयोध्या के राज सिंहासन पर आसीन करते हैं और राम के राजा होने की घोषणा करते हैं। भरत राम की अनुपस्थिति में गुरु व मंत्रीगणों के परामर्श से राज्य चलाने की बात कहते हैं। वे गुरु वशिष्ठ से आज्ञा माँगते हैं कि भाई के वनवास के कारण वे भी नगर के बाहर नंदीग्राम में कुटिया बनाकर रहना चाहते हैं और धरती पर सोना चाहते हैं। भरत उर्मिला से मिलकर क्षमा माँगते हैं कि वे लक्ष्मण को वापस नहीं ला सके और एक बार उनसे मिलवा भी नहीं सके। उर्मिला भी सीता की तरह महान नारी है। वे कहती हैं कि भरत भैया के त्याग के समक्ष उनका दुख बहुत छोटा है। भरत कौशल्या से नन्दीग्राम जाने की अनुमति माँगते हैं और शत्रुघ्न को माताओं की देखभाल का जिम्मा सौंपते हैं। भरत नन्दीग्राम में कुटिया बनाकर कठिन जीवन जीते हैं। एक दिन माण्डवी उनके साथ तपस्वी जीवन जीने की इच्छा के साथ कुटिया में आती हैं किन्तु भरत उन्हें माता कौशल्या की सेवा हेतु महल में रहने हेतु राजी करते हैं। उधर भरत के वापस जाने के बाद राम जान लेते हैं कि भरत व अन्य अयोध्यावासी उनका ठिकाना जान चुके हैं और वे बारम्बार वहाँ आते जाते रहेंगे। अतएव राम चित्रकूट छोड़कर दण्डकारण्य जाने का निर्णय लेते हैं। उधर कैकेयी भरत से मिलने नन्दीग्राम जाती हैं। उनका मन बदल चुका है। उनका सत्तामोह भंग हो चुका है। वो पुत्र के साथ कुटिया में रहना चाहती हैं किन्तु भरत माता का तिरस्कार कर उन्हें वापस भेज देते हैं। महल में पूर्वजों की प्रतिमाओं के समक्ष कैकेयी विक्षिप्त होकर अट्टहास करती हैं। रामायण धारावाहिक के निर्देशक रामानन्द सागर यहाँ अयोध्या काण्ड के समापन की घोषणा करते हुए एपीसोड की मीमांसा प्रस्तुत करते हैं।

रामायण के प्रसिद्ध पात्र

Maricha - मारीच

मारीच रामायण में एक महत्वपूर्ण पात्र है जो रावण के मामा के रूप में प्रस्तुत किया जाता है। मारीच देवताओं के वंशज और वानर जाति के एक प्रमुख सदस्य हैं। वह विद्या, शक्ति और योग्यता में प्रवीण हैं, जिसके कारण उन्हें रावण का समर्थन करने का अवसर मिला। मारीच के चरित्र में रामायण के कई पहलुओं को प्रकट किया गया है, जैसे कि उनकी शांतिपूर्ण प्रकृति, अच्छे संगीत और उनका नीतिनिष्ठा।

मारीच को एक प्राणी के रूप में प्रदर्शित किया गया है, जिसे रावण ने अपने विचारशक्ति के आधार पर प्राणी में परिवर्तित किया। इस प्राणी के रूप में, मारीच ने रावण को अपने विज्ञान और ज्ञान के माध्यम से नये विचारों का अनुभव कराया। वे रावण के उत्कृष्ट मनोबल का प्रतीक बन गए और उन्होंने रावण को अपनी मायावी शक्तियों का परिचय दिया। मारीच ने रावण के दुर्योधन के रूप में भूमिका निभाई, जो उनके प्रतापी और विनीत चरित्र का एक प्रतिष्ठित उदाहरण है।

मारीच की रामायण में प्रमुख भूमिका उनके परिवर्तनशील स्वभाव की बजाय उनकी शांतिपूर्ण प्रकृति को दर्शाने में है। उनकी विचारधारा धर्म और न्याय के पक्षपाती दरबार के विरोध में है, जिसे वे रावण को समझाते हैं। मारीच को रामायण में ध्यान और धार्मिकता के प्रतीक के रूप में भी दिखाया गया है, जब उन्होंने रावण को राम की सत्य और धर्म को मान्य करने की सलाह दी। यह दर्शाता है कि मारीच को धर्म और सत्य के महत्व का अच्छा ज्ञान था।

मारीच को सुंदरकांड में एक महत्वपूर्ण घटना में प्रस्तुत किया गया है, जब उन्होंने भगवान राम के द्वारा किए गए वानरों के प्रत्येक घोर आक्रमण का वर्णन किया। मारीच ने रावण को सावधान करने की सलाह दी और उन्हें बताया कि राम एक महान योद्धा है और उनकी अपार शक्ति का अनुभव करने की योग्यता रखता है। उन्होंने रावण को चेतावनी दी कि वे राम से मतभेद में न पड़ें और उनके प्रति सम्मान का भाव रखें। मारीच की यह सलाह रावण की विजय के लिए महत्वपूर्ण सिद्ध हुई, जो राम के द्वारा हत्या किए जाने की घटना के बाद हुई।

मारीच का चरित्र रामायण में महत्वपूर्ण है और वह रावण के मामा के रूप में एक गहरी राष्ट्रीयता, नीतिशास्त्र, और धर्म की प्रतिष्ठा का प्रतीक है। उनकी प्रशंसा उनकी योग्यताओं, विचारधारा और सच्चे मन की प्रशंसा है। यह चरित्र मारीच को रामायण का महत्वपूर्ण और आदर्श व्यक्ति बनाता है, जो धर्म, न्याय और सत्य के मानकों का पालन करता है।



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|| सिया राम जय राम जय जय राम ||

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2024 में होगी भव्य प्राण प्रतिष्ठा

श्री राम जन्मभूमि मंदिर के प्रथम तल का निर्माण दिसंबर 2023 तक पूरा किया जाना था. अब मंदिर ट्रस्ट ने साफ किया है कि उन्होंने अब इसके लिए जो समय सीमा तय की है वह दो माह पहले यानि अक्टूबर 2023 की है, जिससे जनवरी 2024 में मकर संक्रांति के बाद सूर्य के उत्तरायण होते ही भव्य और दिव्य मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की जा सके.

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रामायण कालीन चित्रकारी होगी

राम मंदिर की खूबसूरती की बात करे तो खंभों पर शानदार नक्काशी तो होगी ही. इसके साथ ही मंदिर के चारों तरफ परकोटे में भी रामायण कालीन चित्रकारी होगी और मंदिर की फर्श पर भी कालीननुमा बेहतरीन चित्रकारी होगी. इस पर भी काम चल रहा है. चित्रकारी पूरी होने लके बाद, नक्काशी के बाद फर्श के पत्थरों को रामजन्मभूमि परिसर स्थित निर्माण स्थल तक लाया जाएगा.

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अयोध्या से नेपाल के जनकपुर के बीच ट्रेन

भारतीय रेलवे अयोध्या और नेपाल के बीच जनकपुर तीर्थस्थलों को जोड़ने वाले मार्ग पर अगले महीने ‘भारत गौरव पर्यटक ट्रेन’ चलाएगा. रेलवे ने बयान जारी करते हुए बताया, " श्री राम जानकी यात्रा अयोध्या से जनकपुर के बीच 17 फरवरी को दिल्ली से शुरू होगी. यात्रा के दौरान अयोध्या, सीतामढ़ी और प्रयागराज में ट्रेन के ठहराव के दौरान इन स्थलों की यात्रा होगी.