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श्रीराम मंदिर, अयोध्या - Shri Ram Mandir, Ayodhya
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The Incredible Story of Lord Ram

रामायण : राम सुग्रीव मित्रता। सुग्रीव द्वारा माता सीता के आभूषणों की पोटली दिखाना।

रामायण : Episode 36

राम सुग्रीव मित्रता। सुग्रीव द्वारा माता सीता के आभूषणों की पोटली दिखाना।

हनुमान राम व लक्ष्मण को गुफा के बाहर छोड़कर अन्दर जाते हैं और सुग्रीव को उनके बारे में बताते हैं। हनुमान सुग्रीव से कहते हैं कि राम अपनी पत्नी की खोज में आपकी सहायता चाहते हैं। यदि सुग्रीव उनसे मित्रता करते हैं तो वे सुग्रीव का खोया राज्य भी वापस दिला सकते हैं। सुग्रीव गुफाद्वार पर राम का स्वागत करते हैं। सुग्रीव अपने राज्य से निर्वासित हैं फिर भी राम उन्हें महाराज कहकर सम्बोधित करते हैं। इससे सुग्रीव अभिभूत होकर उन्हें अन्दर ले जाते हैं। जामवन्त राम के समक्ष एक राजनैतिक सन्धि का प्रस्ताव रखते हैं। सन्धि के अनुसार सुग्रीव अपने वानरों की मदद से सीता का पता लगाकर देंगे और फिर राम सुग्रीव को उनके भाई बालि द्वारा छीना गया राज्य और पत्नी वापस दिलायेंगे। राम सन्घि की शर्तों को स्वार्थ आधारित बताते हैं और निस्वार्थ भाव से सुग्रीव की ओर मित्रता का हाथ बढ़ाते हैं। राम सुग्रीव को गले लगाते हैं और दोनों हनुमान द्वारा प्रज्वलित अग्नि की प्रदक्षिणा कर मित्रता की शपथ लेते हैं। राम सीता का पता लगाने से पहले सुग्रीव को खोया राज्य वापस दिलाने की अग्निशपथ लेते हैं। सुग्रीव बताते हैं कि एक दिन वे पर्वत शिखर पर बैठे थे। तभी उन्होने आकाश से एक राक्षस को एक स्त्री के साथ दक्षिण दिशा की ओर जाते देखा था। वो स्त्री सहायता के लिये पुकार रही थी। उसने अपने आभूषण की पोटली उनकी ओर फेंकी थी। राम सीता के आभूषण पहचान जाते हैं और लक्ष्मण से इसकी पुष्टि करने के लिये कहते हैं। लक्ष्मण कहते हैं कि उन्होने माता समान सीता के मुख की ओर कभी दृष्टि उठाकर भी नहीं देखा है। उन्होने सदैव भाभी की चरण वन्दना की है अतएव वे केवल उनके नुपूर पहचान पा रहे हैं। राम सीता द्वारा आभूषणों की पोटली के जरिये दिये गये संकेत को समझ जाते हैं। अशोक वाटिका में सीता को भी इसका दूर-संवेदन प्राप्त होता है कि सम्भवतः राम को उनकी पोटली मिल गयी है। उधर बालि के महल में उसका पुत्र अंगद अपनी माता तारा से मिलने जाता है और बताता है कि उसने हनुमान को धनुर्धारी राम और लक्ष्मण को कन्धे पर बैठाकर सुग्रीव से मिलवाने ले जाते देखा है। तारा यह बात बालि को बताती है और किसी षड्यन्त्र रचे जाने की आशंका व्यक्त करती है। बालि को अपनी शक्ति पर भरोसा है और वो तारा को आश्वस्त रहने को कहता है।

रामायण के प्रसिद्ध पात्र

Kaikeyi - कैकेयी

कैकेयी एक प्रमुख चरित्र है जो प्राचीन भारतीय महाकाव्य रामायण में दिखाई देती है। वह माता कैकेयी थीं, और उन्होंने अयोध्या के राजा दशरथ की रानी के रूप में भी जानी जाती है। कैकेयी का चरित्र व्यापक रूप से विवरणशील रूप से विकसित किया गया है और उनके भूमिका ने कहानी को महत्वपूर्ण धाराओं पर प्रभाव डाला है। कैकेयी के जीवन की घटनाओं ने रामायण के प्लॉट को प्रभावित किया है, खासकर उनके पति दशरथ और पुत्र राम की जीवन पर।

कैकेयी को परंपरागत रूप से सुंदरी, शक्तिशाली, और साहसिक राजमाता के रूप में प्रदर्शित किया जाता है। उन्हें समाज की महत्त्वाकांक्षी और आदर्श नारी के रूप में दिखाया जाता है, जो अपनी परिवारिक महत्त्वाकांक्षाओं के लिए अत्यंत साहसिक और कट्टरता के साथ काम करती है। वे राजमहल के बाहर स्वतंत्र रूप से राजनीतिक कार्यों में हिस्सा लेती हैं और अपनी आत्मविश्वास और बुद्धिमत्ता का प्रदर्शन करती हैं। कैकेयी एक महत्त्वाकांक्षी रानी की भूमिका में पूर्णता के साथ उभरती हैं और राजनीतिक निर्णयों के लिए उदार और प्रगट होती हैं।

कैकेयी के कई गुणों ने उन्हें एक विवादास्पद पात्री बनाया है। उनकी सबसे महत्वपूर्ण गुणधर्म उनकी नीति और बुद्धिमत्ता हैं, जो उन्हें अपने परिवार की रक्षा करने के लिए उच्चतम समाजिक और नैतिक मानकों का पालन करने पर मजबूर करती हैं। हालांकि, इसके बावजूद, उनके कदमों ने रामायण की कथा में घमंड और नीतिबद्धता की उच्चता को भी दर्शाया है। उन्होंने राजा दशरथ को दशरथ नहीं होने के लिए दोषी ठहराया जब उन्होंने राम को अयोध्या के राजा के रूप में चुनने की मांग की। इसके परिणामस्वरूप, उन्होंने राम को वनवास भेजने का निर्णय लिया, जो राम के जीवन में बड़ा परिवर्तन लाया।

कैकेयी का चरित्र द्वितीयकांड के दौरान विस्तारपूर्वक विकसित किया गया है। उनके चरित्र में बदलाव देखने के लिए कई पात्रों के साथ उनके संवाद और प्रतिक्रियाएँ दिखाई गई हैं। उनका मूख्य उद्देश्य अपने पुत्र भरत को राजमहल के राजा के रूप में चुनने की होती है, और उन्होंने इसके लिए उनके पति दशरथ को मनाने के लिए विभिन्न रचनात्मक उपाय अपनाए। उनके चरित्र का यह पहलु दिखाता है कि वे मातृभाव की महत्त्वाकांक्षाओं के लिए उत्साहवान हैं और उन्हें अपने परिवार के लिए उच्चतम भूमिका में देखना चाहती हैं।

कैकेयी का चरित्र भारतीय साहित्य में अपनी विवादास्पद प्रकृति के लिए प्रसिद्ध है। उन्हें प्रशंसा और निंदा दोनों का शिकार किया गया है। कुछ लोग कैकेयी को अनुशासनशील, साहसिक, और स्वाभिमानी महिला के रूप में मानते हैं, जो अपने परिवार की सुरक्षा के लिए लड़ती हैं। वे उनकी नीतिबद्धता की प्रशंसा करते हैं और उन्हें अपनी प्रबल व्यक्तित्व के कारण समर्थन देते हैं। हालांकि, दूसरी ओर, कुछ लोग कैकेयी को भ्रष्ट, आदर्शों से विचलित, और अहंकारी महिला के रूप में देखते हैं, जो अपनी नीतिबद्धता के लिए अपराधी मानी जाती है। उन्हें उनके कदमों के कारण घमंड और स्वार्थपरता का दोषी ठहराया जाता है।

समग्र रूप से कहें तो, कैकेयी एक महिला है जिसे उसकी परिवारिक और सामाजिक महत्त्वाकांक्षाएं निरंतर मुड़ाती रहती हैं। उनका चरित्र व्यापकता से विकसित है, जो उन्हें साहसिकता, नीतिबद्धता, और स्वतंत्रता के साथ दिखाता है। वे परिवार के लिए उच्चतम भूमिका का ख्याल रखती हैं, जिसके लिए वे नकारात्मक परिणामों को भी सहन करने को तैयार हैं। कैकेयी का चरित्र एक द्वंद्वात्मक पात्री की उदाहरण है, जिसने विवादास्पद परिणाम लाए हैं और जिसके कारण उन्हें प्रशंसा और निंदा दोनों का हिस्सा बना दिया है।



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|| सिया राम जय राम जय जय राम ||

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2024 में होगी भव्य प्राण प्रतिष्ठा

श्री राम जन्मभूमि मंदिर के प्रथम तल का निर्माण दिसंबर 2023 तक पूरा किया जाना था. अब मंदिर ट्रस्ट ने साफ किया है कि उन्होंने अब इसके लिए जो समय सीमा तय की है वह दो माह पहले यानि अक्टूबर 2023 की है, जिससे जनवरी 2024 में मकर संक्रांति के बाद सूर्य के उत्तरायण होते ही भव्य और दिव्य मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की जा सके.

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रामायण कालीन चित्रकारी होगी

राम मंदिर की खूबसूरती की बात करे तो खंभों पर शानदार नक्काशी तो होगी ही. इसके साथ ही मंदिर के चारों तरफ परकोटे में भी रामायण कालीन चित्रकारी होगी और मंदिर की फर्श पर भी कालीननुमा बेहतरीन चित्रकारी होगी. इस पर भी काम चल रहा है. चित्रकारी पूरी होने लके बाद, नक्काशी के बाद फर्श के पत्थरों को रामजन्मभूमि परिसर स्थित निर्माण स्थल तक लाया जाएगा.

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अयोध्या से नेपाल के जनकपुर के बीच ट्रेन

भारतीय रेलवे अयोध्या और नेपाल के बीच जनकपुर तीर्थस्थलों को जोड़ने वाले मार्ग पर अगले महीने ‘भारत गौरव पर्यटक ट्रेन’ चलाएगा. रेलवे ने बयान जारी करते हुए बताया, " श्री राम जानकी यात्रा अयोध्या से जनकपुर के बीच 17 फरवरी को दिल्ली से शुरू होगी. यात्रा के दौरान अयोध्या, सीतामढ़ी और प्रयागराज में ट्रेन के ठहराव के दौरान इन स्थलों की यात्रा होगी.