×

जय श्री राम 🙏

सादर आमंत्रण

🕊 Exclusive First Look: Majestic Ram Mandir in Ayodhya Unveiled! 🕊

🕊 एक्सक्लूसिव फर्स्ट लुक: अयोध्या में भव्य राम मंदिर का अनावरण! 🕊

YouTube Logo
श्रीराम मंदिर, अयोध्या - Shri Ram Mandir, Ayodhya
लाइव दर्शन | Live Darshan
×
YouTube Logo

Post Blog

The Incredible Story of Lord Ram

रामायण : सुग्रीव की व्यथा। राम द्वारा बालि वध की प्रतिज्ञा व शक्ति प्रदर्शन।

रामायण : Episode 37

सुग्रीव की व्यथा। राम द्वारा बालि वध की प्रतिज्ञा व शक्ति प्रदर्शन।

राम कहते हैं कि जिस घर में भाई भाई एक साथ प्रेमपूर्वक रहते हैं, ऐसे घर को ही धरती का स्वर्ग कहते हैं। वे सुग्रीव से जानना चाहते हैं कि उन दोनों भाईयों में किस कारण शत्रुता हुई है। सुग्रीव बताते हैं कि बड़ा भाई बालि किष्किंधा नगरी का राजा था और वो युवराज। सुग्रीव सदैव बालि के प्रति निष्ठावान था। एक दिन मायावी नामक दानव ने बालि को द्वन्द युद्ध के लिये ललकारा। बालि ने उसकी चुनौती स्वीकार की। सुग्रीव भी उसके साथ गया। दोनो भाईयों को साथ आता देखकर मायावी दानव भयभीत हुआ और भाग कर एक गुफा में घुस गया। बालि सुग्रीव को गुफा के बाहर पहरे पर छोड़कर गुफा के अन्दर चला गया। एक वर्ष बीत गया लेकिन बालि बाहर नहीं आया तो सुग्रीव को आशंका हुई कि बालि दानव के हाथों मारा जा चुका है। सुग्रीव भयभीत हुआ कि कहीं दानव बाहर आकर किष्किंधा पर हमला न कर दे, सुग्रीव ने गुफा का मुख एक बड़ी शिला से बन्द कर दिया। किष्किंधा के मन्त्री परिषद ने बालि के न रहने पर युवराज सुग्रीव को नया राजा घोषित कर उसका राज्याभिषेक कर दिया। लेकिन बालि की मौत की आशंका गलत थी। वस्तुतः गुफा के बाहर जो लहू बहकर आया था, उससे सुग्रीव में आशंका उपजी थी कि बालि मारा गया है जबकि वो लहू मायावी दानव का था जिसे एक वर्ष तक युद्ध करके बालि ने मार दिया था। बालि ने जब गुफा से बाहर निकलने की चेष्टा की तो उसे गुफा का मुख बन्द मिला। बालि को लगा कि सुग्रीव ने उसके साथ विश्वासघात किया है। बालि शिला तोड़कर बाहर निकला और सीधे किष्किंधा के राजदरबार पहुँचा। वहाँ उसने सुग्रीव को राजसिंहासन पर विराजमान पाया। बालि ने सुग्रीव पर राज्य हड़पने का आरोप लगाया। सुग्रीव ने अपनी सफाई देने का प्रयास किया किन्तु बालि ने भ्रातद्रोह का आरोप लगाकर सुग्रीव को मृत्युदण्ड देने की घोषणा की और उसपर अपनी गदा से प्राणघातक प्रहार किये। सुग्रीव तो घायल हुआ लेकिन वहाँ से जान बचाकर भागने में सफल रहा। बालि से बचने के लिये सुग्रीव को धरती पर कहीं शरण नहीं मिली तो वह ऋष्यमूक पर्वत में आकर छिप गया। बालि इस पर्वत पर कभी नहीं आ सकता था। लक्ष्मण इसकी वजह पूछते हैं तो हनुमान बताते हैं कि एक बार बालि ने मायावी के भाई दानव दुन्दभि को मारा था और उसके मृत शरीर को दोनों हाथों से उठाकर पूरे वेग से चार कोस दूर फेंक दिया था। दुन्दभि के मुख से निकले रक्त की कुछ छींटे ऋषि मतंग के आश्रम में जा गिरी। इससे क्रोधित ऋषि ने श्राप दिया कि जिसने भी यह कृत्य किया है, यदि वो उनके आश्रम के एक योजन के क्षेत्र में प्रवेश करेगा तो उसकी मृत्यु हो जायेगी। इस श्राप के भय से बालि कभी भी ऋष्यमूक पर्वत की ओर नहीं आता है। लेकिन उसने सुग्रीव की पत्नी रूमा को भी जबरन छीन रखा है। राम कहते हैं कि बालि का यह अपराध उसे मृत्युदण्ड देने के लिये काफी है। राम प्रतिज्ञा करते हैं कि अगले दिन सूर्यास्त से पहले वे बालि का वध कर सुग्रीव को उनका राज्य और पत्नी दोनों वापस दिलायेंगे। अगले दिन सुग्रीव राम को बालि के बल के बारे में बताकर सावधान करते हैं। बालि को यह वरदान प्राप्त है कि वो जिससे युद्ध करेगा, उसका आधा बल बालि को मिल जायेगा। सुग्रीव बताता है कि दुंदभि एक विशाल भैंसासुर था। एक बार उसने समुद्र को युद्ध के लिये ललकारा। समुद्र ने उससे लड़ने में असमर्थता व्यक्त की और उसे हिमवान के पास लड़ने भेजा। हिमवान ने भी युद्ध करने की बजाय दुन्दभि को बालि से मुकाबला करने को कहा। बालि ने युद्ध में दुन्दभि को मार दिया। दुन्दभि की हड्डियों का ढांचा गुफा के बाहर पड़ा है। सुग्रीव बताते हैं कि यहाँ ताड़ के सात पेड़ हैं जिन्हें बालि बाण से भेद सकता है। राम के कहने पर सुग्रीव उन्हें दुन्दभि के अस्थि पिंजर के पास ले जाते हैं। जामवन्त राम की शक्ति को परखना चाहते हैं। राम अपने पैर की एक ठोकर से दुन्दभि के पिंजर को कोसों दूर फेंक देते हैं। इसके बाद राम एक बाण से ताड़ के सातों पेड़ काटकर गिरा देते हैं। सुग्रीव राम की जय जयकार कर उनके चरणों पर झुक जाते हैं। राम सुग्रीव से बालि को युद्ध के लिये ललकारने को कहते हैं।

रामायण के प्रसिद्ध पात्र

Vibhishana - विभीषण

विभीषण, एक महान राजा और भगवान राम के महाकाव्य रामायण में महत्वपूर्ण एक पात्र है। विभीषण का अर्थ होता है "भयभीत होने वाला" या "भयभीत हो जाने वाला"। विभीषण राक्षस राजा रावण का छोटा भाई था, जिसने अपने भ्राता के दुराचारों और दुष्टताओं के प्रतियोगिता से परेशान होकर उसे छोड़ दिया। इसके पश्चात, विभीषण ने श्रीराम की शरण ली और उन्हें उसकी सेवा करने का वचन दिया।

विभीषण एक ईमानदार, न्यायप्रिय, और तत्पर राजा था। उसकी विशेषताएं उसके स्वभाव को व्यक्त करती थीं। वह धर्म का पालन करने वाला था और सत्य का पुजारी। विभीषण ने अपनी भ्रातृभक्ति के बावजूद रावण के दुराचारों को नहीं सहा और उसने सत्य के मार्ग पर चलने का निर्णय लिया। वह अन्याय से घृणा करता था और असली धर्म को समझता था। उसकी ईमानदारी और श्रद्धा ने उसे श्रीराम की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करने में सफलता दिलाई।

विभीषण एक विदेशी राजा था, जिसने लंका नगरी के शासन करते समय अपने देश के सांस्कृतिक मूल्यों और मानवाधिकारों का संरक्षण किया। वह रावण के शासनकाल में लंका में अन्याय और उत्पीड़न का सामना करने वाले लोगों की मदद करता था। विभीषण ने अपनी प्रजा के आर्थिक, सामाजिक और धार्मिक उन्नति के लिए कई नीतियों को लागू किया। उसने शिक्षा, स्वास्थ्य, और विकास के क्षेत्र में प्रगति के लिए प्रयास किया।

विभीषण रामायण में राम के भक्त और समर्थनकर्ता बने। उसने श्रीराम के पास जाकर उसे अपनी दुःख और संकट का वर्णन किया और वहाँ शरण ली। विभीषण की आपत्तियों के बावजूद, श्रीराम ने उसे अपने परिवार में स्वीकार किया और उसे अपने आश्रम में आने के लिए आमंत्रित किया। इससे पहले कि राम ने विभीषण का स्वागत किया, हनुमान ने उसे अच्छी तरह से जांचा था, ताकि उसकी नियति सत्यवादी और धर्मनिष्ठ होने की पुष्टि हो सके।

विभीषण ने श्रीराम की सेवा करने का संकल्प लिया और उसके आदेशों का पालन किया। वह राम के लिए महत्वपूर्ण सलाहकार, विश्वासपात्र और आपत्ति सुनने वाला व्यक्ति बन गया। विभीषण ने रावण के दुराचारों के बारे में राम को सूचना दी, जिससे राम ने राक्षस सेना को हराने के लिए सही रणनीति बनाई। विभीषण ने भगवान राम की सहायता करके राक्षसों के साम्राज्य को समाप्त किया और लंका को धर्म और न्याय के आदर्शों के साथ फिर से स्थापित किया।

विभीषण एक प्रेरणादायक पात्र है, जो न्याय की प्राथमिकता को स्थापित करता है और धर्म के मार्ग पर चलने की महत्त्वपूर्णता को दर्शाता है। उसकी विश्वासपूर्णता, धैर्य और धर्मनिष्ठा सभी के मनोभाव को प्रभावित करती हैं। विभीषण का पात्र रामायण की एक महत्वपूर्ण और प्रेरक कथा का हिस्सा है, जो धर्म, न्याय, और सत्य के महत्व को प्रकट करती है। वह एक उदाहरण है, जिसके माध्यम से हम सीख सकते हैं कि ईमानदारी, सत्यनिष्ठा और धर्म के पालन में स्थायित्व रखना कितना महत्वपूर्ण है।



Ram Mandir Ayodhya Temple Help Banner Sanskrit shlok
Ram Mandir Ayodhya Temple Help Banner Hindi shlok
Ram Mandir Ayodhya Temple Help Banner English shlok

|| सिया राम जय राम जय जय राम ||

News Feed

ram mandir ayodhya news feed banner
2024 में होगी भव्य प्राण प्रतिष्ठा

श्री राम जन्मभूमि मंदिर के प्रथम तल का निर्माण दिसंबर 2023 तक पूरा किया जाना था. अब मंदिर ट्रस्ट ने साफ किया है कि उन्होंने अब इसके लिए जो समय सीमा तय की है वह दो माह पहले यानि अक्टूबर 2023 की है, जिससे जनवरी 2024 में मकर संक्रांति के बाद सूर्य के उत्तरायण होते ही भव्य और दिव्य मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की जा सके.

ram mandir ayodhya news feed banner
रामायण कालीन चित्रकारी होगी

राम मंदिर की खूबसूरती की बात करे तो खंभों पर शानदार नक्काशी तो होगी ही. इसके साथ ही मंदिर के चारों तरफ परकोटे में भी रामायण कालीन चित्रकारी होगी और मंदिर की फर्श पर भी कालीननुमा बेहतरीन चित्रकारी होगी. इस पर भी काम चल रहा है. चित्रकारी पूरी होने लके बाद, नक्काशी के बाद फर्श के पत्थरों को रामजन्मभूमि परिसर स्थित निर्माण स्थल तक लाया जाएगा.

ram mandir ayodhya news feed banner
अयोध्या से नेपाल के जनकपुर के बीच ट्रेन

भारतीय रेलवे अयोध्या और नेपाल के बीच जनकपुर तीर्थस्थलों को जोड़ने वाले मार्ग पर अगले महीने ‘भारत गौरव पर्यटक ट्रेन’ चलाएगा. रेलवे ने बयान जारी करते हुए बताया, " श्री राम जानकी यात्रा अयोध्या से जनकपुर के बीच 17 फरवरी को दिल्ली से शुरू होगी. यात्रा के दौरान अयोध्या, सीतामढ़ी और प्रयागराज में ट्रेन के ठहराव के दौरान इन स्थलों की यात्रा होगी.