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श्रीराम मंदिर, अयोध्या - Shri Ram Mandir, Ayodhya
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The Incredible Story of Lord Ram

रामायण : सीता की खोज में वानर दलों का प्रस्थान। राम द्वारा हनुमान को मुद्रिका प्रदान करना।

रामायण : Episode 41

सीता की खोज में वानर दलों का प्रस्थान। राम द्वारा हनुमान को मुद्रिका प्रदान करना।

शेषावतार लक्ष्मण अत्यन्त क्रोध में किष्किंधा नगरी में प्रवेश करते हैं। उनके क्रोध के दावानल से वानर परिवारों में खौफ छा जाता है। अंगद इसकी सूचना हनुमान और जामवन्त को देते हैं। महल में लक्ष्मण अपने धनुष की प्रत्यन्चा की टंकार देते हैं। इसकी गूँज सुग्रीव के अन्तःपुर तक सुनायी पड़ती है। सुग्रीव के सामने नृत्य कर रहीं नर्तकियाँ भयभीत होकर वहीं जड़ हो जाती हैं। हनुमान रानी तारा से लक्ष्मण के समक्ष जाने का निवेदन करते हैं। वे जानते हैं कि रघुवंशी स्त्री पर क्रोध नहीं करते हैं। तारा के स्वागत को लक्ष्मण ठुकरा नहीं पाते लेकिन वे सुग्रीव से मिलने के लिये उद्धत हैं। हनुमान लक्ष्मण को सुग्रीव के पास ले जाते हैं। लक्ष्मण सुग्रीव को कृतघ्न कहते हैं। हनुमान स्थिति को सम्भालते हुए कहते हैं कि महाराज सुग्रीव, नल और नील को वानर यूथपतियों को एकत्र करने के लिये पहले ही भेज चुके हैं। सुग्रीव राम के पास जाते हैं। हनुमान जी के पिता केसरी भी राम से मिलने आते हैं। वानर यूथपतियों की सभा को सम्बोधित करते हुए सुग्रीव कहते है कि उनकी राम से मित्रता आर्य और वनवासियों की अलग अलग संस्कृतियों का एकीकरण है। सुग्रीव सीता की खोज के लिये चारों दिशाओं में जाने वाले वानर दलों का गठन करते हैं। हनुमान का विचार है कि रावण दक्षिण की ओर जाते देखा गया है तो दक्षिण में सीता के मिलने की अधिक सम्भावना है। इस पर सुग्रीव दक्षिण दिशा में जाने वाले खोजी दल का नेतृत्व युवराज अंगद को देते हैं। सुग्रीव हनुमान को अंगद का सहयोगी बनाकर साथ भेजते हैं। दक्षिणगामी दल का महत्व देखते हुए बुद्धिमान जामवन्त और अभियान्त्रिकी में निपुण नल और नील को भी इसमें शामिल किया जाता है। सुग्रीव कहते हैं कि सागर के बीच अगस्त्य ऋषि द्वारा स्थापित महेन्द्रगिरी पर्वत है। उसके सामने चार सौ कोस के विस्तार में एक द्वीप है जहाँ मानव नहीं जा सकते। सुग्रीव हनुमान से इस द्वीप पर विशेष अनुसंधान करने को कहते हैं। वानर दल राम को प्रणाम कर अभियान पर रवाना होते है। राम को आभास होता है कि हनुमान के द्वारा ही उनका कार्यसिद्ध होगा। हनुमान ही सीता के समक्ष पहुँचेंगे। वे हनुमान को भरत समान भाई कहते हैं। वे हनुमान को राम नाम अंकित अपनी मुद्रिका देते हैं और कहते हैं कि जब वो सीता के समक्ष पहुँचेंगे तो सम्भव है कि सीता उनपर सन्देह करें। यदि हनुमान उन्हें यह मुद्रिका दिखायेंगे तो वो समझ जायेंगी कि राम ने ही उन्हें भेजा है। राम हनुमान से कहते हैं कि सीता से मिलने पर वह उन्हें सन्देश दें कि अब राम उन्हें वापस लाने में देर नहीं करेंगे। हनुमान मुद्रिका को आदर पूर्वक अपनी आँखों से लगाते हैं।

रामायण के प्रसिद्ध पात्र

Tara - तारा

श्रीमद् रामायण में तारा का चरित्र एक अद्वितीय और महत्वपूर्ण रूप से उभरता है। तारा, किष्किंधा नगर के महान वानर राजा वाली की पत्नी थीं। वाली और तारा का विवाह वानर समुदाय में प्रेम के एक उदाहरण के रूप में माना जाता था। तारा का पूरा नाम अत्यंत सुंदरी ताराका था, जो उनकी सुंदरता को व्यक्त करता था। उनकी स्नेही और सदैव परोपकारी स्वभाव ने उन्हें वानर समुदाय में महत्वपूर्ण बना दिया था।

तारा एक बुद्धिमान, विद्वान् और साहसिक महिला थीं। वाली की साहसिक गुणवत्ता के कारण, उन्होंने वानरों के बीच एक अत्यधिक महत्वपूर्ण स्थान बनाया था। उन्होंने वानर समुदाय के सभी सदस्यों का सम्मान किया और उनकी समस्याओं को हल करने के लिए प्रयास किए। तारा बुद्धिमान वैद्यकीय ज्ञान की धारा थीं और उन्होंने वानर सेना की चिकित्सा और उनकी सेवाओं का प्रबंधन किया। वानर समुदाय में उनका उदाहरणीय आदर्श स्थान था और वे वानरों के लिए एक माता के समान थीं।

तारा की उपस्थिति वानर सेना के लिए एक आधारभूत सामर्थ्य थी। वाली द्वारा नेतृत्व किए जाने वाले सेनानायक के रूप में तारा की बुद्धि और वाणी का महत्वपूर्ण योगदान था। वानर सेना के प्रमुख नेता के रूप में, उन्होंने वानरों के बीच न्याय और समानता के सिद्धांत को स्थापित किया। तारा वाली के साथ एक ऐसी जीवन जीती थी जिसमें संयम और न्याय का महत्वपूर्ण स्थान था।

तारा अपनी श्रद्धा और निष्ठा के लिए भी प्रसिद्ध थीं। उन्होंने वानर समुदाय में आध्यात्मिक संघ के गठन में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने वानर समुदाय के सदस्यों को धार्मिक शिक्षा दी और उनके आध्यात्मिक विकास का समर्थन किया। तारा धार्मिक और मनोवैज्ञानिक सुधारों को समर्थन करती थीं और उन्होंने वानर समुदाय के सदस्यों को धार्मिकता के मार्ग पर अग्रसर किया।

तारा रामचरितमानस में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। वाल्मीकि जी महर्षि द्वारा लिखित इस ग्रंथ में उनका वर्णन किया गया है और उनकी साहसिकता, विवेक और धार्मिकता की प्रशंसा की गई है। उन्होंने लक्ष्मण के साथ राम को सम्पूर्णता के रूप में शरण दी और उन्हें वानर सेना का नेतृत्व सौंपा।

तारा की प्रतिभा, शक्ति और साहस ने उन्हें एक प्रमुख चरित्र बना दिया है। उनका प्रेम और समर्पण उन्हें वानर समुदाय में महत्वपूर्ण स्थान देता है और उन्हें एक आदर्श पत्नी के रूप में मान्यता प्राप्त होती है। उनका चरित्र रामायण के महान काव्य में सुंदरता और प्रेरणा का स्रोत बनता है।



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|| सिया राम जय राम जय जय राम ||

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2024 में होगी भव्य प्राण प्रतिष्ठा

श्री राम जन्मभूमि मंदिर के प्रथम तल का निर्माण दिसंबर 2023 तक पूरा किया जाना था. अब मंदिर ट्रस्ट ने साफ किया है कि उन्होंने अब इसके लिए जो समय सीमा तय की है वह दो माह पहले यानि अक्टूबर 2023 की है, जिससे जनवरी 2024 में मकर संक्रांति के बाद सूर्य के उत्तरायण होते ही भव्य और दिव्य मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की जा सके.

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रामायण कालीन चित्रकारी होगी

राम मंदिर की खूबसूरती की बात करे तो खंभों पर शानदार नक्काशी तो होगी ही. इसके साथ ही मंदिर के चारों तरफ परकोटे में भी रामायण कालीन चित्रकारी होगी और मंदिर की फर्श पर भी कालीननुमा बेहतरीन चित्रकारी होगी. इस पर भी काम चल रहा है. चित्रकारी पूरी होने लके बाद, नक्काशी के बाद फर्श के पत्थरों को रामजन्मभूमि परिसर स्थित निर्माण स्थल तक लाया जाएगा.

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अयोध्या से नेपाल के जनकपुर के बीच ट्रेन

भारतीय रेलवे अयोध्या और नेपाल के बीच जनकपुर तीर्थस्थलों को जोड़ने वाले मार्ग पर अगले महीने ‘भारत गौरव पर्यटक ट्रेन’ चलाएगा. रेलवे ने बयान जारी करते हुए बताया, " श्री राम जानकी यात्रा अयोध्या से जनकपुर के बीच 17 फरवरी को दिल्ली से शुरू होगी. यात्रा के दौरान अयोध्या, सीतामढ़ी और प्रयागराज में ट्रेन के ठहराव के दौरान इन स्थलों की यात्रा होगी.