×

जय श्री राम 🙏

सादर आमंत्रण

🕊 Exclusive First Look: Majestic Ram Mandir in Ayodhya Unveiled! 🕊

🕊 एक्सक्लूसिव फर्स्ट लुक: अयोध्या में भव्य राम मंदिर का अनावरण! 🕊

YouTube Logo
श्रीराम मंदिर, अयोध्या - Shri Ram Mandir, Ayodhya
लाइव दर्शन | Live Darshan
×
YouTube Logo

Post Blog

The Incredible Story of Lord Ram

रामायण : राजा जनक का राजा दशरथ को सन्देश। राम बारात का मिथिला में आगमन

रामायण : Episode 9

राजा जनक का राजा दशरथ को सन्देश। राम बारात का मिथिला में आगमन

राजा जनक का सन्देश अयोध्या पहुँचता है। राजा दशरथ अपने महल में हैं। कौशल्या और कैकेयी के भी वहाँ आने पर भरत और शत्रुघ्न उन्हें भैया राम का विवाह तय होने का समाचार बड़ा ही कौतूहल जागृत करने के भाव से सुनाते हैं। इसके पश्चात दशरथ मिथिला के राजदूत देवव्रत से सभागृह में मिलते हैं। देवव्रत राम और सीता के विवाह हेतु राजा जनक का प्रस्ताव उनके सम्मुख रखते हैं और उन्हें बारात लाने का आमंत्रण देते हैं। दशरथ के आग्रह पर महर्षि वशिष्ठ इस निमन्त्रण को स्वीकृति प्रदान करते हैं। दशरथ राजदूत को राज्य की तरफ से उपहार भेंट करते हैं जिसे वो स्वयं को लड़की पक्ष का बताकर विनयपूर्वक अस्वीकार कर देते हैं। राजा दशरथ ऋषियों मुनियों, मंत्रियों तथा समस्त प्रजाजन को बारात में चलने का निमन्त्रण भरत और शत्रुघ्न के द्वारा भिजवाते हैं। कौशल्या आर्य सुमन्त को याचकों को राजकोष से दान देने का निर्देश देती हैं। दशरथ बारात लेकर मिथिला पहुँचते हैं। जनक बारात का स्वागत करते हैं। जनक के अन्दर कन्या का पिता होने का दास भाव है तो दशरथ भी स्वयं को याची बताकर अपनी विनयशीलता का परिचय देते हैं। लक्ष्मण बड़े भाई राम को पिता दशरथ के आने की सूचना देते हैं लेकिन राम में भी रघुकुल के संस्कार हैं। वे कहते हैं कि इस समय वे गुरू विश्वामित्र के आधीन हैं तो उनकी आज्ञा के बिना पिता से भेंट नहीं की जा सकती। तभी विश्वामित्र उन्हें ले चलने के लिये आते हैं। रात्रि में राम पिता की सेवा करते हैं। दशरथ को सुयोग्य पुत्र का पिता होने का गर्व होता है। उधर लक्ष्मण भैया राम और भाभी सीता के पुष्प वाटिका में हुए प्रथम साक्षात्कार की कहानी बहुत ही रस लेकर अपने भाईयों भरत और शत्रुघ्न को सुनाते हैं। मिथिला के सभागृह में दोनों राजन अपने अपने आचार्यों और परिवारीजनों के साथ मंत्रणा करते हैं। महर्षि वशिष्ठ राजा दशरथ की कुल परम्परा का बखान करते हुए राजा जनक से राम का विवाह सीता से और उनकी दूसरी पुत्री उर्मिला का विवाह लक्ष्मण संग करने का प्रस्ताव रखते हैं। जनक इसे सहर्ष स्वीकार करते हैं। ऋषि विश्वामित्र भी अपने मन की बात रखते हैं। वे राजा जनक के अनुज व सांकाश्या राज्य के शासक कुशध्वज की पुत्रियों माण्डवी और श्रुतकीर्ति के साथ भरत और शत्रुघ्न के विवाह का प्रस्ताव रखते हैं। जनक अपने भाई कुशध्वज की ओर से इस प्रस्ताव को स्वीकार करते हैं। सखियाँ यह शुभ समाचार सीता और उनकी बहनों तक पहुँचाती हैं।

रामायण के प्रसिद्ध पात्र

Sita - सीता

सीता हिन्दू धर्म की महान पुराणिक कथाओं और एपिक महाभारत और रामायण के अनुसार एक महान महिला चरित्र है। उनका वर्णन भारतीय साहित्य में सुंदरता, सामरिक योग्यता, पतिव्रता, संयम, त्याग और प्रेम के साथ जोड़ा जाता है। सीता का जन्म मिथिला राज्य के राजा जनक के घर में हुआ था। वे एक अत्यंत सुंदर, आकर्षक और सुशील महिला थीं। उनकी कामुकता और अनुशासनशीलता के कारण उन्हें जनकपुरी में 'जनकनंदिनी' के रूप में पुकारा जाता था। सीता की विवाह कथा महाराज दशरथ के पुत्र भगवान राम से जुड़ी है। वे राम की पत्नी और मान्यता हैं। सीता को अपनी पति के प्रेम का प्रतीक माना जाता है और उन्होंने अपने पति के लिए बड़ी परीक्षा का सामना किया। उन्होंने रावण के द्वारा किये गए अपहरण का सामना किया और अयोध्या वापस आने के बाद भी राम ने उन्हें अग्नि परीक्षा में भेजा। सीता ने इन परीक्षाओं का सामना किया और अपने पति की वफादारी और पतिव्रता का प्रमाण द िया। सीता का वर्णन करते समय उनकी सुंदरता को न छोड़ा जा सकता है। उनका चेहरा अत्यंत प्रकृष्ट और प्रकाशमय होता था। उनकी नेत्र अत्यंत मनोहारी थीं और उनके बाल लंबे, काले और चमकदार थे। वे हमेशा सर्वत्र प्रकृष्ट वस्त्रों में बांधी रहती थीं और उनके आभूषण भी अत्यंत सुंदर और मोहक होते थे। सीता की परीक्षाएं और वफादारी ने उन्हें भारतीय समाज में महिलाओं के लिए आदर्श बना दिया है। उन्होंने संयम और समर्पण की उच्चता का प्रतीक दिखाया। वे अपने पति की सेवा में अपना सम्पूर्ण जीवन व्यतीत करने के लिए तैयार थीं। उन्होंने पतिव्रता की महत्ता को साबित किया और उनका प्रेम विश्वासयोग्यता और त्याग के उदाहरण के रूप में उठाया गया है। सीता ने अपनी पति और परिवार के लिए बहुत कुछ संभाला है। उन्होंने अपनी सभी परिस्थितियों में धैर्य और सहनशीलता दिखाई है। उन्होंने अपने पति राम के साथ वनवास काल में अपने पूत्र लव और क ुश की पालना की है। वे एक माता के रूप में बहुत सम्मानित हैं और उनकी मातृभूमि को महत्त्व दिया जाता है। सीता का वर्णन करते समय, उनके धर्मिक और आध्यात्मिक महत्त्व को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। वे धार्मिकता, ईमानदारी, न्याय और सच्चाई के प्रतीक हैं। उन्होंने अपने पूरे जीवन को धर्म के मार्ग पर बिताया और अपनी मान्यताओं और नियमों का पालन किया। सीता का वर्णन करते समय, हमें उनके अनन्य प्रेम का भी स्मरण करना चाहिए। उन्होंने अपने पति और परिवार के प्रति अपार प्रेम और समर्पण दिखाया है। उनकी प्रेम पूर्ण और निःस्वार्थ है, जो एक पत्नी और माता के लिए आदर्श होना चाहिए। सीता हिन्दू धर्म की एक महान महिला चरित्र हैं, जिन्हें आदर्श और प्रेरणा के रूप में मान्यता दी जाती है। उनका वर्णन हमें सुंदरता, सामरिक योग्यता, पतिव्रता, संयम, त्याग और प्रेम की महत्ता समझाता है। सीता ने अपने जीवन के माध्यम से हमें नैतिकता, सामरिक योग्यता, और पतिव्रता के आदर्श का पालन करने की प्रेरणा दी है। उनकी बातों और कृतियों के माध्यम से हमें जीवन में सत्य, ईमानदारी, त्याग, सहनशीलता, और प्रेम की महत्ता को समझने का अवसर मिलता है। सीता का वर्णन हमें एक साथियक और आदर्श पत्नी की उपासना करने का उत्साह प्रदान करता है। उनके महान गुणों की सराहना करते हुए हम उन्हें एक अद्वितीय महिला चरित्र के रूप में स्वीकार कर सकते हैं और उनकी प्रेरणा से एक महिला के जीवन को उज्ज्वल और सार्थक बना सकते हैं।



Ram Mandir Ayodhya Temple Help Banner Sanskrit shlok
Ram Mandir Ayodhya Temple Help Banner Hindi shlok
Ram Mandir Ayodhya Temple Help Banner English shlok

|| सिया राम जय राम जय जय राम ||

News Feed

ram mandir ayodhya news feed banner
2024 में होगी भव्य प्राण प्रतिष्ठा

श्री राम जन्मभूमि मंदिर के प्रथम तल का निर्माण दिसंबर 2023 तक पूरा किया जाना था. अब मंदिर ट्रस्ट ने साफ किया है कि उन्होंने अब इसके लिए जो समय सीमा तय की है वह दो माह पहले यानि अक्टूबर 2023 की है, जिससे जनवरी 2024 में मकर संक्रांति के बाद सूर्य के उत्तरायण होते ही भव्य और दिव्य मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की जा सके.

ram mandir ayodhya news feed banner
रामायण कालीन चित्रकारी होगी

राम मंदिर की खूबसूरती की बात करे तो खंभों पर शानदार नक्काशी तो होगी ही. इसके साथ ही मंदिर के चारों तरफ परकोटे में भी रामायण कालीन चित्रकारी होगी और मंदिर की फर्श पर भी कालीननुमा बेहतरीन चित्रकारी होगी. इस पर भी काम चल रहा है. चित्रकारी पूरी होने लके बाद, नक्काशी के बाद फर्श के पत्थरों को रामजन्मभूमि परिसर स्थित निर्माण स्थल तक लाया जाएगा.

ram mandir ayodhya news feed banner
अयोध्या से नेपाल के जनकपुर के बीच ट्रेन

भारतीय रेलवे अयोध्या और नेपाल के बीच जनकपुर तीर्थस्थलों को जोड़ने वाले मार्ग पर अगले महीने ‘भारत गौरव पर्यटक ट्रेन’ चलाएगा. रेलवे ने बयान जारी करते हुए बताया, " श्री राम जानकी यात्रा अयोध्या से जनकपुर के बीच 17 फरवरी को दिल्ली से शुरू होगी. यात्रा के दौरान अयोध्या, सीतामढ़ी और प्रयागराज में ट्रेन के ठहराव के दौरान इन स्थलों की यात्रा होगी.